Mera vyaktitva
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Path ke Pahchane
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Monday, April 21, 2008
कल का दिन, फिर से एक नयी उम्मीदों को लिए आएगा. कभी लगता है समय थम गया है, कभी पंख लगा कर उड़ाने लगता है, इन दो वर्षो में बहुत से सपने हम ने साथ साथ बुने हैं, बनते बिगड़ते देखा है उन्हें यथार्थ के धरातल पर , पर इस सब से बड़ी बात है कि हम साथ हैं, आज भी.रहेंगे भी .तुम्हे देने को मेरे पास आज कुछ नहीं है , पर मेरा साथ है, जो तुम हर दम पाओगे, हर मुश्किल घड़ी में, पाओगे अपने साथ मुझे, एक परछाई क़ी तरह.
पहले कोई कहता था तो अजीब लगता था कि हम एक दूसरे क़ी उम्मीदों पर खरे उतर पाएँगे या नहीं, पर अब उन सब के लिए एक उत्तर हमारे पास आज है, हमारी उम्मीदें बहुत छोटी थी, एक दूसरे के अनुरूप ढल गयी और हम बिना अपना निज खोए, अपने को बदले बिना, दूसरे के बदलने क़ी उम्मीद लगाए बिना एक दूसरे के पूरक बन गये और यूँ स्वीकार किया हम ने ये रिश्ता.और बदल गया सब कुछ, हर अंधेरे में जुगनू चमकने लगे, स्याह पड़े थे जो रंग मुँह छिपाए हुए, वो भी अब चमकने लगे हर सफ़र मंज़िल लगने लगा , जब से हम ने आप को मंज़िल माना, बदल गये मायने जिंदगी के जब से आपको जिंदगी जाना.
Posted by Neelima Arora :: 6:59 AM :: 1 Comments: ---------------------------------------