Mera vyaktitva
Recent Entries
Sankalan
Path ke Pahchane
Credits
Wednesday, October 08, 2008
आज विजयदशमी हैं,वो दिन जब कभी हम सब बचपन में उतावले रहते थे ,एक ललक लिए रावण को जलते देखने मेले में जाने के लिए. माँ की कहानियों ,रामलीला के पात्रों,और हाँ टीवी सीरियल्स से जो देखा जाना,रावण भयभीत करने वाला ही लगा,उत्सुकता के साथ हरदम भय रहता. इतने बड़े रावण के पुतले को देख हम बच्चे डर कर माँ के पल्लू में छुप जाते और झाँक झाँक कर देखते,इंतजार करते कि कब रामजी आ कर उसका वध कर देंगे. शायद आप लोगो ने भी देखा हो,या खुद बचपन का अनुभव हो,उन मेलों में तीर कमान,तलवार बिकते हर. हर बच्चा ज़िद कर कुछ तो खरीदता ही,बेचने वालो क़ी चाँदी हो जाती.
हर बच्चा ज़िद कर उन हथियार से खेलकर खुद को धर्मयुद्ध का हिस्सा समझता और असत्य के विरुद्ध युद्ध में शामिल होता. फिर आती कागज घड़ी जब रावण का पूतला फूंकता. सब हर्षौल्लासमें डूब जाते पर पता नहीं क्यों मैं तब भी सोचती कि अरे रावण जल रहा है,उसको क्यों जला दिया,उसे भी दर्द होगा,जब राम भगवान हैं तो उसकी पीड़ा क्यों नहीं समझते,क्यों नहीं उसे अपने सत्य से अपनी शक्ति से,चमत्कार से अच्छा बना देते,सही मार्ग पर लाते. माँ इन सब बातों पर हँसती और कहती सब के अंदर एक रावण होता हैं,ये तुम पर है कि उसे जलाओ,या सुधरो पर ये ध्यान रखना क़ी राम पर कभी रावण हावी ना हो. तब ये बातें अबूझ पहेली सी लगती. बड़े हुए तो बहुत कुछ समझ आने लगा,माँ क़ी बातें और उन में छिपे अर्थ. फिर रावण को उस के नज़रिए से देखने,गुणने क़ी समझ आई .धीरे धीरे वो रामलीला,रावण का दहन बचकाने लगने लगे. पर फिर भी परंपरा हैं.
पर आज बिकते कुछ पहले सा नहीं हैं,आज तो घर से निकल कर मेलो,सड़को पर जाने से पहले लोग घबराते हैं,सुबह निकलते हैं, जीवन पर आतंक क़ी छाया है,यहाँ सीरियल ब्लास्ट्स ,कहीं गोलीबारी,कुछ भी सुरक्षित नहीं,कुछ गुमराह बच्चो हथियार हाथ में अब कागज के हथियार नहीं विध्वंस के सामान हैं,और सब क़ी आँखो में मासूमियत नहीं भय है,आज रावण नहीं,विश्व जल रहा है,हमारा देश सुलग रहा है.ये आतंकवाद का रावण आज हमे ही जलाने पर उतारू है,पर प्रश्न फिर वही है,ये रावण क्यों बना,क्या इसे सही मार्ग पर लाना सही निर्णय है या जलाना.
चलिए आज हम सब अपने मन के रावण का दहन करे,कोशिश करे कि हमारे छोटे छोटे स्वार्थ लालसाएं हमारे सत्य पर हावी ना हो.
आप सब को विजयदशमी क़ी शुभकामनाएँ. सदा सत्य क़ी असत्य पर विजय हो.
Posted by Neelima Arora :: 10:57 PM :: 1 Comments: ---------------------------------------